Description
The story starts when the king of Ullasnagar Raja Vichitra Sen orders to punish a thief named Charan Dutt by cutting his hands.
But somehow Charan Dutt manages to escape the prison and meet the queen of secret fort, who saves him.
Learn the whole story as how Charan Dutt became Tilismdev and what happens when the original Tilismdev who is living in Naaglok will come to know about this.
उल्लासनगर का चोर चरणदत्त जो पकड़ा गया चोरी करते हुए और राजा विचित्रसेन ने दी उसके हाथ काट लिए जाने की सजा। सजा से बचने के लिए भागा चरणदत्त तो उसको दिखाई दिया एक रहस्यमय किला। किले की रहस्यों की रानी शीबा ने बचायी चरणदत्त की जान और चरणदत्त के कहने पर दे दिया उसको तिलिस्मदेव का रूप।
अब तिलिस्मदेव का रूप धरे चोर चरणदत्त ने उल्लासनगर में मचा दिया आतंक। सब उसे तिलिस्मदेव समझ करने लगी तिलिस्मदेव की बुराई। तिलिस्मदेव के बुराई का प्रतीक बन जाने की खबर जब पहुंची नागलोक तो तिलिस्मदेव उर्फ़ नागदेव की सातों पत्नियाँ हो गयी विचलित। और अपने पति की सच्चाई जानने पहुँच गयी पृथ्वी पर।
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